अपनी ज़िन्दगी से तंग आकर
नित नयी परेशानियों से घबराकर
एक बार मेने आत्म हत्या का निर्णय लिया
मेरे इस निर्णय का सभी ने स्वागत किया ।
बीवी ने कहा तुमने अकल से काम लिया है
पडोसी बोला यह नेक काम बोहोत पहले कर लेना चाहिए था
दोस्त बोला अब इस theory को अमल में लाओ
इससे पहले तुम्हारा विचार बदले तुरंत practical पर उतर जाओ ।
भीड़ में एक रेल कर्मचारी था
शक्ल से माल गाडी की सवारी था
पास आकर बोला यदि आत्म हत्या ही करनी है तोह हमारे महकमे की सेवा लीजिये
बस एक बार without reservation बॉम्बे से पटना तक की यात्रा कीजिये
आगे बढ़ जा
बस किसी तरह जनरल बोगी में चढ़ जा
ट्रेन पटना पहुँच जायेगी
लेकिन बेटा तेरी तोह बस खबर ही आएगी ।
और यदि तेरी किस्मत अच्छी रही
पटना पहुंचने से पहले ही यह ट्रेन किसी पुल से गिर जायेगी
या दूसरी ट्रेन से जा टकराएगी
कब परलोक का टिकट कट गया तुझे पता भी नहीं चलेगा
और तोह और मरने के बाद दो लाख रूपये का मुवाअज़ा भी मिलेगा ।
एक चुनाव हारा नेता दौड़ कर आया
आकर चिल्लाया
सुना है आपका आत्महत्या का इरादा है
हम आपकी मदद करेंगे यह हमारा वादा है
इस देश में कितनी समस्या है
हर समस्या की जड़ जनसँख्या है
इसका एकमात्र इलाज आत्म हत्या है
लेकिन सामने चुनाव पड़े है
उसमे हम भी खड़े है
तबतक सब्र करना
हमे वोट देके मरना
बस एक बार चुनाव आने दो
हमे मिनिस्टर बन जाने दो
सबकी तकलीफे दूर कर देंगे
एक एक को आत्म हत्या के लिए मजबूर कर देंगे ।
इस तरह लोगो ने कई बातें बताई
लेकिन मेरी समझ में सिर्फ एक बात आयी
इस देश में हर आदमी मरने से डरता है
लेकिन जीने की हसरत में रोज़ कई बार मरता है ।
अधूरी उमीदो की व्यथा है
पूरा जीवा कस्तूरी मृग की कथा है
इसी मर्ग तृष्णा में जी रहे है
हम अपने ही आंसू पी रहे है ॥
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