तोह फिर मज़ा क्या
तोह फिर मज़ा क्या
सफलता जो मिल जाए जल्दी ,
तोह फिर मज़ा क्या ,
यह जूनून जो ढल जाए जल्दी ,
तोह फिर मज़ा क्या ।
यह सपने जो काबिज हैं कबसे ,
मेरी उसनींदी आँखों में ,
ये सपने सच हो जाए जल्दी ,
तोह फिर मज़ा क्या,
यह जूनून जो ढल जाए जल्दी ,
तोह फिर मज़ा क्या ।
न जीत से मुझको पार सा है ,
न दर मुझे अब हार का है ,
ये पथ कही अब खो जाए ,
तोह फिर मज़ा क्या ,
यह जूनून जो ढल जाए जल्दी ,
तोह फिर मज़ा क्या ॥
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