मेरे गुमनाम लफ्ज़ो की भी कोई आवाज़ बने फिज़ाओ में छुपा लूँ उसे वो इक राज़ बने होते तोह बहुत हैं यहाँ एकतरफा इश्क़ इश्क़ जब इश्क़ से टकराए तोह कोई बात बने
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