सवाल का बवाल - हास्य कविता



पुलिस को रिक्रूट का नया दस्ता चाहिए था ।हरयाणे का राधेश्याम भी इंटरव्यू देने गया ।इंटरव्यू में पूछा गया सिर्फ एक सवाल और राधे ने बना दिया सवाल का बवाल। सवाल था की अगर आप सेब खरीदने जाओगे तोह पचास रुपए किलो के हिसाब से सौ ग्राम सेब के कितने पैसे देकर आओगे ? यह आसान सा सवाल था ।इस आसान से सवाल को हरयाणे का आदमी कैसे बवाल बना सकता है बस यही इस कविता का सौंदर्य है ।


राधे बोला अगर मेने सौ ग्राम सेब के भी पैसे दिए,
तोह पुलिस में भर्ती हो रहा हु क्या ऐसी तैसी करने के लिए,
साहब को जवाब में मजा आया,
उन्होंने सवाल को आगे बढ़ाया ।

अच्छा में खरीदने जाऊ तोह मुझे कितने के मिलेंगे ?
राधे बोला आवाज़ करो पूरी पेटी आपके घर भिजवा देंगे,

अच्छा तुम्हारी पत्नी तोह पुलिस में नहीं है ना ?
वो जायेगी तोह सौ ग्राम सेब के कितने पैसे देकर आये गी ?
राधे बोला साहब में अपनी पत्नी को आपसे ज्यादा जानता हूँ,
उसे ख़रीददारी का है बहुत चाव,
अगर उसे सौ ग्राम खरीदने होंगे तोह सौ ग्राम का ही पूछे गी भाव ।

अच्छा तुम्हारा भाई जाए ?
जी भाई को तोह मेने कई बार बाजार जाते देखा है,
पर वो तोह हर बार पान लेकर ही आता है ।

अच्छा तुम्हारी बहिन जाए कोई ?
जी मेरी एक बेहेन थी उसकी शादी होगयी,
अब वो जाने या बहनोई ।

राधे श्याम तुम्हारे पिता जी भी तोह बाजार जाते है,
जी उनके दाँत नहीं है वो बस केले खाते है ।

आप मुझे एक बात बताओ श्रीमान,
तन्खा तोह दोगे एक आदमी की,
और सेब खरीदने में लगा दिया पूरा खानदान।

तुम्हारा कोई दोस्त है राधे श्याम ?
हांजी है सीता राम ,
वोह सेब खाता है ?
हा कोई खिलाये तोह खा जाता है ।

साहब आपने इस भी सवाल को खूब कीचा है,
लगता है आपका कोई सेब का बगीचा है,
कुछ भी हो पर आप अपना जवाब ले लो,
सीताराम फलवाले को पांच रूपये देगा,
और कहेगा इतने के सेब दे दो ।

पर इतने के कितने ?
अब यह सेब वाले की मर्ज़ी वो देदे जितने ।

अच्छा छोड़ो कोई आम आदमी जाए तोह वो सौ ग्राम सेब के कितने पैसे देकर आएगा ?
आम आदमी का नाम सुनते ही राधे श्याम सीरियस हो गया थोड़ा,
बोला साहब आप लोगो ने आम आदमी को सेब खरीदने लायक ही कहा छोड़ा,
आम तोह सेब का ठेला लगता है,
खरीदने तोह ख़ास ही जाता है ।

राधे श्याम तुमने तोह जरा से बात का बना दिया बवाल,
राधे बोला साहब मुझे तोह शुरू से ही पसंद नहीं है सवाल,
मेरे विचार में संसार में जितनी भी गड़बड़ है,
असल में सेब ही उसकी जड़ है,
अगर उस दिन आदम और हुआ एक सेब नहीं खाते,
तोह ना में आता और ना आप यहाँ आते ।

इंटरव्यू का यह हुआ परिणाम,
आजकल राधेश्याम सब्जी मंडी में डंडा फटकारते है,
खुद तोह भरपेट खाते हैं,
और साहब के लिए सौ ग्राम भिजवाते है ॥

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